अकेलेपन से मिले वो 5 सबक, जिन्होंने मेरी ज़िंदगी बदल दी
अकेलेपन से जुड़े वो 5 सबक जो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन गए
कई बार ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहाँ आसपास कोई नहीं होता – ना दोस्त, ना भीड़, ना शोर। ऐसे समय में हम या तो डर जाते हैं… या खुद को पहचानने लगते हैं।
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
जब मैंने ट्रैवलिंग शुरू की थी या जब खुद से जुड़े कुछ फैसले लिए, तब अकसर अकेले ही था। लेकिन यहीं से शुरुआत हुई एक नए सफर की – खुद से मिलने के सफर की। इस ब्लॉग में मैं उन 5 ज़रूरी सबकों की बात कर रहा हूँ जो मुझे मेरे अकेलेपन ने सिखाए।
1. खुद को समझना शुरू किया
अकेले वक्त बिताने से मैंने जाना कि असली Ankur कौन है। क्या पसंद है, क्या नहीं, किससे बात करना अच्छा लगता है, क्या चीज़ें परेशान करती हैं – ये सब मैं तब जान पाया जब मैं सिर्फ अपने साथ था।
2. अपनी कंपनी में भी सुकून मिला
पहले लगता था अकेले café जाना, movie देखना या ट्रैवल करना awkward लगेगा। लेकिन आज वही चीज़ें मुझे सबसे ज़्यादा शांति देती हैं। “अब दूसरों की ज़रूरत नहीं, अपनी कंपनी ही सबसे प्यारी लगती है।”
3. फैसले खुद लेने की ताकत आई
जब कोई साथ नहीं होता, तो हर छोटी-बड़ी चीज़ खुद करनी होती है – यही आत्मनिर्भरता का पहला पाठ है। मैंने decision लेना सीखा, डर के बावजूद आगे बढ़ना सीखा।
4. Silence is not empty, it’s full of answers
शांत माहौल में बैठकर सोचने का मज़ा ही कुछ और है। दुनिया के शोर से दूर होकर ही हमें अपनी आवाज़ सुनाई देती है। मैंने पाया कि जवाब बाहर नहीं, मेरे अंदर ही थे।
5. Creativity वहीं खिलती है
Ankur’s Digital Diary शुरू करने का आइडिया भी शायद उसी अकेलेपन में आया था। जब mind free होता है, तब imagination उड़ने लगती है। अकेलेपन ने मेरी creativity को नया रास्ता दिया।
अंत में…
अगर आप कभी खुद से दूर महसूस कर रहे हों, तो खुद के साथ थोड़ा वक्त बिताइए। शायद वहीं से एक नया आप जन्म ले।
“अकेलापन डराने वाला नहीं, समझने वाला होता है – बस नज़रिया बदलने की ज़रूरत है।”
क्या आपने कभी खुद से मुलाकात की है? नीचे comment में ज़रूर बताइए।
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